मैं इश्क़ हूँ या बारिश मैं?
मैं इश्क़ हूँ या बारिश मैं, मुझे अश्क़ बन रहने दो दूर हुए हम जुदा नहीं यूँ आँखों से अश्क़ न बहने दो, मैं इश्क़ हूँ या बारिश मैं, मुझे अश्क़ बन रहने दो इश्क़ तो यूं ही बदनाम है दूर होकर भी हम एक नाम है, जैसे हो नदिया में बहती धारा कुछ वैसा ही तो है साथ हमारा, यूँ बारिश में भीगी हुई तुम्हारी ज़ुल्फ़ों का नज़ारा, मानो समा रखा हो उसमें पूरा ज़माना, अब अश्क़ बहे तो बहने दो, मैं इश्क़ हूँ या बारिश मैं, अब सिर्फ मुझे तुम अपने ख्यालों में रहने दो. ~विशाल आनंद